बादलों के तल (botton) सपाट (flat) लगते है जैसे किसी ने उन्हें उस्तरे से काट दिया हो। इस अनोखी घटना के पीछे का रहस्य वायुमंडल के भीतर हवा और नमी (moisture) में छिपा हुआ है। अदृश्य नमी को लेकर गर्म हवा आसमान में ऊपर की और उठती है। लेकिन जैसे-जैसे यह ऊपर चढ़ती जाती है हवा ठंडी होती जाती है। उस ठंडक के साथ एक परिवर्तन भी आता है। हवा में नमी छोटी-छोटी पानी की बूंदों या नाजुक बर्फ के क्रिस्टल में संघनित होने लगती है। ये बूंदें जब एक साथ इकट्ठी हो जाती है तो हम उसे बादलों के रूप में देखते हैं।
हालाँकि सपाट तल कोई संयोग नहीं है। उन्होंने एक सीमा को चिह्नित किया। वह सटीक ऊँचाई जहाँ ऊपर उठती हवा संघनन शुरू करने के लिए पर्याप्त ठंडी हो जाती है। इस रेखा के ऊपर बादल बढ़ता और फूलता है जो हवा के बदलते प्रवाह द्वारा आकार लेता है। बादल का निचला भाग समतल प्रतीत होता है क्योंकि वायु धाराएं (air currents) नमी को वितरित करती हैं।
बादलों का तल समतल क्यों होता है?
स्थिर वायु परत के प्रभाव से बादल के तल का समतल हो जाना (flattening of the base of a cloud due to the effect of a stable air layer)
अगर आप ध्यान से देखोगे तो बादलों के बारे में उत्सुकता होगी। उनके तल (bottom) बिल्कुल सपाट (flat) होते है जैसे कि किसी अदृश्य कलाकार के हाथ ने आसमान में एक सीधी रेखा खींच दी हो।
इस अजीब सुंदरता के पीछे की प्रक्रिया सरल लेकिन आकर्षक है। ऊपर, नम हवा (moist air )अदृश्य धाराओं द्वारा ऊपर की ओर अपनी यात्रा शुरू करती है। जैसे-जैसे यह ऊपर चढ़ती है हवा ठंडी होती जाती है और छोटी-छोटी बूंदें या नाजुक बर्फ के क्रिस्टल बनने लगते है। ये एक साथ मिलकर बादलों का निर्माण करते है। लेकिन यहाँ पर एक ट्विस्ट है। सभी हवाएँ एक ही गति से ऊपर नहीं उठतीं। कभी-कभी हवा की एक स्थिर परत (stable air layer) ज़मीन के पास रुक जाती है। एक अदृश्य छत की तरह यह नम हवा को रोके रखती है। इस परत के कारण आगे बढ़ने में असमर्थ नमी ऊपर जाने के बजाय बगल में फैलने लगती है। इसके कारण लहराते हुए शीर्षों के नीचे उन सपाट (flat) आधारों का निर्माण होता है। तापमान व्युत्क्रम और उच्च दबाव प्रणालियों जैसी शक्तियों द्वारा आकार दी गई यह हवा की स्थिर परत एक मूक द्वारपाल की तरह काम करती है। जैसे-जैसे गर्म, नम हवा जमीन से ऊपर उठती है वह तब तक ऊपर चढ़ती जाती जब तक कि वह इस अदृश्य सीमा से नहीं मिल जाती।
एडियाबेटिक कूलिंग के कारण बादल के आधार का चपटा होना (flattening of the base of cloud due to adiabatic cooling)
एडियाबेटिक कूलिंग आयतन विस्तार के कारण वायु दाब में परिवर्तन के माध्यम से ऊष्मा को कम करने की एक प्रक्रिया है। ऊपर की और जाने पर हवा ठंडी होने लगती है। यह सिर्फ़ तापमान में गिरावट नहीं है। यह एक प्रक्रिया है जिसे एडियाबेटिक कूलिंग कहा जाता है। पतली हवा में ऊपर उठते हुए नम हवा स्वाभाविक रूप से फैलती और ठंडी होती जाती है। हवा के ठंडा होने की दर एक नाजुक संतुलन द्वारा निर्धारित की गई है जैसे कि इसमें कितनी नमी है, यह कितनी तेज़ी से ऊपर उठी है और वायुमंडल का लगातार बदलता दबाव।
समतल आधार वाले बादलों के उदाहरण
क्यूम्यलस बादल (Cumulus Clouds)
- ये सबसे आम सपाट आधार वाले बादल हैं।
- आमतौर पर धूप वाले दिनों में बनते हैं जब गर्म हवा ऊपर उठती है, ठंडी होती है और रूई जैसी आकृति में संघनित होती है।
- उनके सपाट आधार संघनन स्तर को चिह्नित करते हैं जहाँ नमी दृश्यमान बादल की बूंदों में बदलना शुरू होती है।
स्ट्रेटस बादल (Stratus Clouds)
- कम, भूरे रंग के बादल जो अक्सर पूरे आकाश को एक सपाट, एकसमान परत में ढक लेते हैं।
- ये तब बनते हैं जब नम हवा ऊर्ध्वाधर (vertically) रूप से उठने के बजाय क्षैतिज (horizontally) रूप से फैलती है जिससे सपाट व्यापक बादल बनते हैं।
स्ट्रेटोक्यूम्यलस बादल (Stratocumulus Clouds)
- क्यूम्यलस और स्ट्रेटस विशेषताओं का मिश्रण।
- अक्सर सपाट तल वाले कम, ढेलेदार बादलों के रूप में दिखाई देते हैं जो आकाश में समूहों या पैच में फैले होते हैं।
ये बादल स्थिर वायु परतों और शीतलन की अलग-अलग दरों का परिणाम हैं जिसमें सपाट आधार उस बिंदु पर बनते हैं जहाँ संघनन शुरू होता है।