लावणी, पोवाड़ा, कोली, वाघ्या–मुरली और धनगारी गाजा : महाराष्ट्र की समृद्ध लोकनृत्य परंपरा
लावणी, पोवाड़ा, कोली, वाघ्या–मुरली और धनगारी गाजा : महाराष्ट्र की समृद्ध लोकनृत्य परंपरा
महाराष्ट्र अपने विविध सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन, परंपराओं और उत्सवों के लिए जाना जाता है। यहां की लोकसंस्कृति इतनी व्यापक है कि राज्य के प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग नृत्य-शैलियाँ विकसित हुई हैं। लावणी, पोवाड़ा, कोली, वाघ्या-मुरली और धनगारी गाजा—ये पाँच प्रमुख लोकनृत्य न केवल महाराष्ट्र की पहचान हैं, बल्कि राज्य के इतिहास, जनजीवन, श्रद्धा और उत्सवधर्मिता को भी जीवंत रूप में प्रस्तुत करते हैं। लावणी : ताल, भाव और शृंगार का अद्भुत संगम लावणी महाराष्ट्र का सबसे लोकप्रिय लोकनृत्य है, जो मुख्यतः ढोलकी की तीव्र ताल पर प्रस्तुत किया जाता है। नृत्यांगनाएँ चमकदार नौवारी साड़ी, गहने और विशिष्ट ‘नथ’ पहनकर मोहक अभिव्यक्तियों के साथ नृत्य करती हैं। लावणी के गीतों में समाज, प्रेम, व्यंग्य और जीवन के विविध पक्षों का भावपूर्ण चित्रण मिलता है। यह नृत्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि मराठी सांस्कृतिक सौंदर्य और नारी-अभिव्यक्ति का प्रतीक है। पोवाड़ा : वीरता और इतिहास का गंधर्वगान पोवाड़ा महाराष्ट्र की शौर्य परंपरा से जुड़ा नृत्य-गायन है। इसमें कलाकार युद्धगाथाएँ, वीरों के साहस और ऐतिहासिक घटनाओं का नाटकीय वर्णन प्र…