भारत की आध्यात्मिक और स्थापत्य विरासत में दक्षिण भारत के मंदिरों का विशेष स्थान है। इन्हीं में से एक है तमिलनाडु के रामेश्वरम स्थित रामनाथस्वामी मंदिर जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है बल्कि अपनी अनूठी वास्तुकला और भारत के सबसे लंबे मंदिर कॉरिडोर के कारण विश्वप्रसिद्ध भी है। यह मंदिर तीर्थयात्रियों और इतिहास-प्रेमियों दोनों के लिए समान रूप से आकर्षण का केंद्र है।
रामेश्वरम द्वीप पर स्थित रामनाथस्वामी मंदिर हिंदू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने लंका विजय के बाद भगवान शिव की आराधना करने के लिए यहाँ शिवलिंग की स्थापना की थी। इसलिए यह मंदिर हिंदू धर्म के शैव और वैष्णव दोनों संप्रदायों के लिए पवित्र माना जाता है।
कॉरिडोर की प्रमुख विशेषताएँ
- यह भारत का सबसे लंबा मंदिर कॉरिडोर है।
- कॉरिडोर की कुल लंबाई लगभग 1,197 मीटर (लगभग 3,921 फीट) मानी जाती है।
- इसमें 1,200 से अधिक सुंदर नक्काशीदार पत्थर के स्तंभ हैं।
- स्तंभों की ऊँचाई लगभग 22 से 25 फीट तक है।
- छत और स्तंभों पर अद्भुत शिल्पकला दक्षिण भारतीय वास्तुकला की समृद्धि को दर्शाती है।