भूवैज्ञानिक समय पैमाना (GTS: Geological Time Scale) एक ऐसी प्रणाली है जो पृथ्वी के 4.6 बिलियन वर्ष के इतिहास को महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक और जैविक घटनाओं के आधार पर पदानुक्रमित अंतरालों में विभाजित करती है। यह हमारे ग्रह को आकार देने वाली घटनाओं के अनुक्रम और समय को समझने के लिए एक रूपरेखा के रूप में कार्य करता है। जैसे कि महाद्वीपों का निर्माण, पर्वत श्रृंखलाओं का उत्थान और पतन, जीवन का विकास और सामूहिक विलुप्ति। GTS को कल्प युग (eons), अवधि (periods), युग (epochs)और युगों में विभाजित (ages) किया गया है जिनमें से प्रत्येक पृथ्वी की निरंतर बदलती कहानी में मील के पत्थर को चिह्नित करता है।
भूवैज्ञानिक समय पैमाना एक कालानुक्रमिक ढाँचे के रूप में कार्य करता है। यह वैज्ञानिकों को भूवैज्ञानिक संरचनाओं और जीवन को उनकी उत्पत्ति, विकास और विलुप्त होने के आधार पर तिथि निर्धारित करने में मदद करता है। इस उल्लेखनीय अवधारणा को सबसे पहले वर्ष 1760 में जियोवानी अर्दुनिया (Giovanni Ardunia) द्वारा विकसित किया गया था जिसने आधुनिक भूवैज्ञानिक अध्ययनों के लिए आधार प्रदान किया।
इसे वैश्विक मान्यता तब मिली जब इसे 1881 में अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस में मानकीकृत किया गया जिसने दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदायों के सहयोग में एक मील का पत्थर साबित किया।
दिलचस्प बात यह है कि भारत का अपना भूवैज्ञानिक समय पैमाना है जिसे प्रसिद्ध भूविज्ञानी टी.एस. हॉलैंड (T.S. Holland) ने आगे बढ़ाया है। यह अध्ययन के क्षेत्र में क्षेत्रीय विशिष्टता और योगदान को उजागर करता है।
भूवैज्ञानिक समय पैमाना केवल एक चार्ट नहीं है। यह पृथ्वी के लाखों वर्षों के इतिहास की एक खिड़की है जो इस बात का प्रमाण है कि हम अपने पैरों के नीचे की दुनिया को समझने में कितनी दूर आ गए हैं।